Saturday 14 November 2015

Were we really....???

A mutual breakup,
Couldn't turned up,
Again u were unaware
Coz she is engaged...!!


Broken mirror gives u many faces,
u had long walks with open laces,
Closed lashes can't say u awake,
Reminding urself that you alive,
Remembering spent moment & life,
That loud music but no words
ur lonely walk with autumn fallouts
Question comes again n again,

"Were we really made for each other?"

Sunday 1 November 2015

शिक्षा को भी धर्म में बाँट दिया....

हमने तो शिक्षा को भी धर्म में बाँट दिया...
१. काशी हिंदू विश्वविद्यालय
२. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय

शिक्षा का उद्देस्य कभी भी राजनैतिक नही रहा यही तो गम है, राजनैतिक (सकारात्मक राजनीति वो भी) होता तो हम संप्रादायक ना बन जाते, खुद को हिंदू और मुसलमान कहलाने वालो को ये बता देना चाहता हू की भारत गणराज्या (जिसमे पूरा पंजाब, सिंध, लश्कर और अफ़ग़ानिस्तान इत्यादि) भी आता है, १८५७ तक कभी संप्रादायक झगड़े ना हुए कभी, हिंदू और मुसलमान भले ही अपने अपने धर्मा संस्थानो मे धर्मा की शिक्षा लेते थे पर जब आधुनिक शिक्षा दिखा की बात होती थी तो नालंदा जैसे विस्वा ईसतरीया केन्द्र श्रोत बनते थे ज्ञान के लिए! 

पर ब्रिटिश राज ने फूर डालो सासन करो अपनाया, उस वक़्त होता ये था की मंदिर और मस्जिद ज्ञान का केन्द्रा थे, ब्रिटिश राज ने रात क अंधेरो मे अलग अलग बुलाया मौलवी साहब को भी और पुजारी को भी, लालच भरे लोगो ने साथ भी दिया! ब्रिटिश रात मे मंदिरो मे गाय काटकर फेक जाते थे और लिख देते थे अल्लाहोआक्बर, और मस्जीदो मे शराब इत्यातो रखवा कर जय श्री राम लिख देते थे! 

फिर वही लालची मौलवी और पंडित पुजारी अपने अपने संस्थनो मे लोगो को जमा करके बीज बोते थे संप्रादायक!! तनाव लाते थे!! आज जो भारत हम देख रहे है वो भारत का सपना अगर दिखा होता ना आज़ादी के वक़्त तो सच बता रहा हू, आज़ादी के लिए कोई प्रयास भी ना करता! एससे अच्छा अंग्रेज़ो की गुलामी होती! 

बड़े बड़े समारोहो मे हिंदू मुस्लिम एकता का नारा लगाने वालो, नया दौर विकाश का है, नया दौर टेक्नालजी का है,!! २ जून की रोटी मुसीब ना हो पा रही अभी भी भारत क लखो लोगो को और तुम सब हो की आपसी रंजिस मे लगे रहते हो...!!

जहा तक एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप की ही बात हो, मुसलमान कहेगा की आर एस एस को दुनिया का दूसरा बड़ा आतंकवादी संघटन घोसित क्रना चाहिया (हालाँकि यूएन और मूडी ने भी माना है की एँकी गतिविधिया भारत की साख मे बट्टा लगा रही है).......

फिर आप कहेंगे की यहा तो हज़ारो प्रमाण है की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी कभी इंडियन मुजाहिद्दीन तो कभी आई एस एस तक को समर्थित लोगो का आसरा रहा है..>!!! भाई साहब, बात पाते की सुनो, आप राजनैतक लाभ क लिए लोगो की जान से ना खेलो...!! शिक्षण संस्थान को ज्ञान का श्रोत रहने दें.....अनुरोध ही मेरा....कार्बद्ध अनुरोध है...!!!


जिन लोगो को आप महापुरुष कहते है, जिन्होने ऐसे नाम और आरक्षित महान शिक्षण संस्थानो की नीव रखी, उन्होने कभी ना सोचा होगा की उनके एस महानतम सोच का फल क्या निकलेगा, !!! 

पर अब जब बदलाव किया जेया सकता है तो अनुरोध है मेरा तन्त्र से, बनाना है तो नालंदा जैसा बनाए, दुनिया मे नाम कराएँ...शिक्षा कभी जाती और धर्मा मे ना बाँध दें..!!  यूनिवर्सिटी नाम ही एव्स लिए है क्योकि शिक्षा यूनिवर्सल है..!!

आप महनुभव के विचार आमंत्रित हैं...!!! 

Saturday 19 September 2015

मानवता के खातिर....

हर साल बाल दिवस पर आ जाता है याद बचपना..!! शिक्षा का अधिकार, सुरक्षा और सदभावना के अलावा भी ना जाने कितने ही अधिकारों की बात करते है हम ना; हम कहते है की बच्चे ही भविस्य है भारत का....पर क्या आप जानते है :
अच्छा चलो मुद्दा वो भी नही; बात ये है की क्या आपने आसपास देखा है क्या???? ज़्यादातर भीख माँगने वाले बच्चे ही  मिलेंगे आपको; आप अगर कार चला रहे है तो ये दृश्या दिखेगा:

कही बच्चे खाने को मोहताज तो कही शिक्षा को...!! हम कई बार बात करते है विकसित भारत के सपनो की; विकाश की राह मे भाग रहे विज्ञान की;  चुनाव क वक़्त वापस रोटी कपड़ा और मकान की....कुच्छ भी कह लो...अनाथालय मे बच्चे बढ़ते जा रहे है..!! कारण कोई पता नही करना चाह रहा; भूख से बिलबिलाते बच्चो पर एन जी ओ का भी बड़ा खेल और भ्रष्टाचार चल रा है समाज मे....!!! 


सड़क मे या तो भीख मागते हुए या कुच्छ बेचने का प्रयास करते हुए बच्चे अक्सर आक्सिडेंट का भी शिकार हो जाते है; अगर कुच्छ मिला भी दान वश भी तो वो जिस प्यार के हकदार है वो तो नही मिलता ना...!! 


शायद हो पाए इश् बावत हम सब से....अपने भी भविस्या के खातिर....अपने बचपन को याद करते हुए...मानवता के खातिर


Wednesday 16 September 2015

हम बात करते है भारत भविस्य की ....आरक्षण की..!!!

शवर्न और आवर्न दो भाग है समाज मे; आज हालत ये है की शूद्रा खुद को सवर्न मे नही गिनता है. आप कितना भी कह लो; हालत अभी भी सुधरे नही है; 

ओ बी सी की बात नही करता पर यथार्थ देखना हो तो दलित मे देखिए; 
आपको वो पीढ़ी दर पीढ़ी उसी हालत मे मिलेंगे. आप हम जैसे सभी लोग उनका शोषण करते थे और कर रहे है. 

उनको उनके पास से आप हम आरक्षण देने या हटाने की बात करते है; जो दो जून की रोटी को मजबूर है; क्या उनका पेट आप आरक्षण से भर सकते हो? 
जिन्हे आरक्षण चाहिए उनको मिल नही पता और वो भूख से या ग़रीबी मे आत्महत्या से मरते है, जिनको नही मिलता आरक्षण वो खून की नदियाँ बहाना पसंद करते है; 
हार्दिक पटेल जन्म लेते है;

हक़ीकत तो ये है की जिनको ज़रूरत दो जून की रोटी की है उनका पेट आरक्षण देने भर से ना भरेगा. कुच्छ सरकार से परे हटकर हमे खुद करना पड़ेगा. लोग आरक्षण का ढोंग पीट र्हे; 

मुझे बात तो ये नही समझ आती की आज भी मंदिर क बाहर सौ लोग ऐसे कैसे दीं दुखिहारे भूखे दिख ही जाते है; आप कार रोकिए किसी भी चौराहे मे 10 बच्चे रोते बिलबिलते और 1 रुपय मॅगने दौड़ पड़ते है; 

आज करतब दिखाने को मजबूर 5 साल क बच्चे ट्रेन मे 1 रोटी मॅगने कचरा सॉफ करते है; क्या शिक्षा का अधिकार उनके लिए नही है.? हम बड़ा आरक्षण का विरोध करते है ना; 

क्या हमने कभी ये जाना है की हमारे पूर्वाजो ने जाती क आधार पर कितना प्रताड़ित किया है अनुसूचित जातियो को. चामर अगर पानी च्छू दे तो पानी का घड़ा तोड़ दिया जाता है!! सोचिए ये अगर आप हम जैसे लोगो क साथ होता तो क्या होता हुमारा. फिर भी हम बात करते है भारत भविस्या की ....आरक्षण की..!!!

बताएए कों सा ब्राह्मण आज मल उठता है; कौन सा ठाकुर आज मज़दूर है...बहोट कम मिलेंगे ना....!! परंतु यहा करोड़ो दलित लोग है जो नली का गंदा पानी पीने को मजबूर है या की आरक्षण नमक चीज़ है भी या नही उनको पता तक नही!!! और हम बात करते है सवर्ण की..!!!

Monday 14 September 2015

Vo Kehti Hai...Suno Jana...

Vo kehti hai ye ladna ye jhagdna door krta hai humko,
tum door kar do majbooriyan tanhaeyan...
Mai keta hu tapish-e-badhumani me kuchh bhi ho mohabbat meri kam ho nahi sakti...


Mai kehta hu suno Jana ye takrar ka adhikar hai mujhko, 
tumhe esme mera pyaaar kyu nahi dikhta...
Mai kehta hu tu meri mehbooba mera pyaar mera sab kuchh hai Jana ....
kaise tujhe khud se door jaane dunga mai


Vo kehti hai kuchh log kehte hai ye chhoti baten Badi ban jaya krti hai...
agar lagam na lagao enpar to
Vo kehti hai....mohabbat ek mom ka putla hai...
ese pighala dengi vo garm anche vo garm hawayen....

Mai kelta hu suno Jana...
jhulas jaye tan bhi agar mera to vo garam hawaye pyaar ko na chhu payenge 
Etna visawas karo apni mohabbat me...

Mai kehta hu ab sun tu mujhe....meri Jana...
Teri ankho me ye pyaar meri muskan k khatir tera vo chupchap dard ka sehna...
Teri baten tera vo khilkhila kar hasna..
bada mashgool krta hai mujhe tere es pyaar me padna...

Vo kehti hai Teri baate tere Wade sab sunne me to achhe lagte hai; 
par kya pure honge kabhi,
Mai kehta hu bharosha rakho aye Jana en wado par...
antim sans tak koshishe rahengi meri...

Kisi ki baat me na aao kabhi takrar na ki humne..
koe ye faisala kar nahi skta ki future kya hoga hamara...


Har baat Jo tujhse Judi
 har jakhm Jo tere mere dard ban jaaye 
aye Jana aur kya Hi maagu mai khuda ne agar puchhi h meri raja

Mai kehta hu yahi rab se yahi meri gujarish hai...
sabhi dard de do uske chupke se mujhe Teri muskan qki sabse pyaari hai....


Na maga rab se kabhi kuchh vo upar wala bhi kya sochta hoga...
teri khushiyo k khatir ye adiyal tera premi adig sa ruka rha hoga...

Vo kehti hai: tum jeene me mere mushqile paida krte ho...
kisse bat karu kisse na kru ye bhala tum kaise kehte ho....
mai kehta hu: door kardo ye buraeyan mere man se mera ilaaz ban jaao....

Teri jaroorat hai tere pyaar ki es dil ko...
mera humsafar ban jaao
Bada dar sa lagta hai bada asahaj mehsoos krta hu...
mohabbat hai tujhse mujhe ye baat to hai Hi..
par ek bat sach sach keh du ki Tera bada samman krta hu...

Teri baato ko sunta hu mai manta bhi to hoon....
Teri har khwahisho ko pura krne ki kasam mai leta hu
Vo kehti hai..
baaten banana koe tumse Sikke....
natak mandali k sartaj tum Hi...
Mai kehta hu sach kehta hu viswas karo mera....
tumhi se mohabbat tumhi se Hi hai ashiqki..........Yehi Ye Jeevan Hai..

Sunday 13 September 2015

वो कहती है........सुनो जाना.....!!!

वो कहती है ये लड़ना ये झगड़ना दूर करता है हमको,
तुम दूर कर दो मजबूरियाँ तनहाईयाँ...
मै कहता हू तपिश-ए-बदगुमानी मे कुच्छ भी हो मोहब्बत मेरी कम हो नही सकती...!!!

मै कहता हू सुनो जाना,
ये तकरार का अधिकार है मुझको,
तुम्हे इसमे मेरा प्यार क्यू नही दिखता...

मै कहता हू तू मेरी महबूबा मेरा प्यार मेरा सब कुच्छ है जाना ....
कैसे तुझे खुद से दूर जाने दूँगा मै...


वो कहती है कुच्छ लोग कहते है
ये छ्होटी बातें बड़ी बन जया करती है...अगर लगाम ना लगाओ तो,

वो कहती है....मोहब्बत एक मोंम का पुतला है...
इसको पिघला देंगी वो गर्म आँचे वो गर्म हवाएँ....

मै कहता हू सुनो जाना...
झुलस जाए तन भी अगर मेरा तो,
वो गरम हवाए प्यार को ना च्छू पाएँगी,
इतना विस्वास करो अपनी मोहब्बत मे...!!!

मै कहता हू अब सुन तू मुझे....मेरी जाना...

मै कहता हू अब सुन तू मुझे....मेरी जाना...
तेरी आँखो मे ये प्यार मेरी मुस्कान के खातिर,
तेरा वो चुपचाप दर्द का सहना...
तेरी बातें तेरा वो खिलखिला कर हसना..
बड़ा मशगूल करता है मुझे तेरे इस प्यार मे पड़ना...


वो कहती है तेरी बाते तेरे वादे सब सुनने मे तो अच्छे लगते है; पर क्या पूरे होंगे कभी,
मै कहता हू
भरोशा रखो अये जाना
इन्ही वादों पर...अंतिम सांस तक कोशिशे रहेंगी मेरी...!!

किसी की बात मे ना आओ
कभी तकरार ना की हमने...
कोई ये फ़ैसला कर नही सकता की फ्यूचर क्या होगा हमारा...


हर बात जो तुझसे जुड़ी
हर जख्म जो तेरे मेरे दर्द बन जाए अये जाना
और क्या ही मागू मै खुदा ने अगर पूछि है मेरी रजा...


मै कहता हू यही रब से यही मेरी गुज़ारिश है...
सभी दर्द दे दो उसके चुपके से मुझे उसकी मुस्कान सबसे प्यारी है....

ना मागा रब से कभी कुच्छ वो उपर वाला भी क्या सोचता होगा...
तेरी खुशियो के खातिर ये अड़ियल तेरा प्रेमी अडिग सा रुका रा होगा...


वो कहती है तुम जीने मे मेरे मुश्क़िले पैदा करते हो...
किससे बात करू किससे ना करू ये भला तुम कैसे कहते हो....
मै कहता हू दूर करदो ये बुराइयां मेरे मन से मेरा इलाज़ बन जाओ....
तेरी ज़रूरत है तेरे प्यार की एस दिल को...मेरा हमसफ़र बन जाओ....


बड़ा दर सा लगता है बड़ा असहज महसूस करता हू...
मोहब्बत है तुझसे मुझे ये बात तो है ही..
पर एक बात सच सच कहु की तेरा बड़ा सम्मान करता हू...
तेरी बातो को सुनता हू मै मानता भी तो हूँ....
तेरी हर ख्वाहिशो को पूरा करने की कसम मै लेता हू...

वो कहती है...बातें बनाना कोए तुमसे सीखे..
नाटक मंडली के सरताज तुम ही...
मै कहता हू सच कहता हू विस्वास करो मेरा....
तुम्ही से मोहब्बत तुम्ही से ही है आशिक़्क़ी...!!! यही ये जीवन है...!!!

Friday 11 September 2015

The Train Journey & Mysterious Misty....!!!

U know I had very comfortable journey.... Watching roads...urbanization... Fields and people working all around via my window of Indian railway.... It was amazing time. Had talks with people traveling with me today mrg. But u know yesterday night I was missing college life and places I was leaving... A lot...!! 


People say life moves on..... but i say memories never....!! 

And why memories are life... Then it's terrible...!! I opened my laptop in journey.... Started typing....u know mujhe sabdon ko kagaj me uker Dena bahot pasand hai....par train me MS word made it easy. 


Pata hai tumhe Indian railway is a place to learn human resources... Human psychology and human behavior etc. It was literally fun while traveling this time; Specially when I know traveling in railways are going to be rare in actual sense.


Pata h when I pick up ur call....in train... Phone rakhne par bagal wali aunty- achha...u r married??? 

And I replied- yes my wife called! But how did u get? 
She- arey samajh jata hai. Me- vo bacche ko dawae deni thi na to vae puchh rae thi ki de du...!! 

She- achha....kitne bachhe h aapke. 
Me- two...one boy one girl. After dinner time we had last good Night interaction.

It was morning;

One similar to my school time frnd was sitting in my compartment. I recalled....hmm....kya Nam tha....kya Nam tha....but I couldn't......I am so week in memory.... Names!!!


Then I was surprised.... If she was my school classmate then how she forgot me!! Not possible... No no awanish u r getting confused.... My conscious b mind told me!!!


Then guy besides her calls her- "Roshni"
Then dimag ki batti jali meri.....ooooooo ye to roshni hai!!!!

Tab na....as u know.... Mai muhfatt.... Man with no limits.... Directly... Bluntly asked that lady: hey roshni... Do U recall... Who am I???

(Qus like ....I m SRK and everybody shall know me.... But still..... It's common way in India when u meet an old frnd).


Roshni: hey awanish.... How can I forget u idiot....
Me: hey u remember me; so....

She: areyyyy was just thinking how many more hours u need to assemble ur guts to talk to me....soooo
Then she introduced a guy with her... He is Rohit my husband.... And this is Rashi...(7 months cute baby) in her arms.

Me: waoo wonderful..... Amazing....hey Rohit....very cute baby n rashi nice name.

She: soo when r u going to get married?? Or already!!!! No no no....I dnt think soooo.....!! Btw I m not in fb so not aware abt u!!! So bata na.... Tu bata.

Me: ettne sare questions...ek sath!!

Mere bagal wali aunty turant....2 cute bachhe bhi h sir k....dekho ab bhi jawan lagte hai....!!!

Ek gahera sannata us lady k answer k baad....!!!
Roshni was nor believing....(Btw aisa mera perception bas tha uske chehra dekh kar).


But she replied... Waah ...bahot bahot badhae....batao.   Bataya tak nae....bulaya nae!!! Tum bahot bure ho. (Halanki her husband's face was not cool with her attention in my personal life).
But still...meri kal ngt ki masti...2min ki....aunty k sath....2 mint ka jhooth Etna bada bill fadega pata na tha!!! Socha na tha.

Roshni and rohit had to go with next stop....and I couldn't reveal the truth.... As I was enjoying hiding it!!! Loving it.  !!!


*******Some truths and lies both needs to kept in secret.**********

Dar sa lagta hai abb to...

Gulshan-e-darbar me
jabse arzi khushiyo k liye lagae hai..

Rehmat etni mili Allah khair kare;

nazren na lag jaaye dar sa lagta hai ab to!!!!

Thursday 10 September 2015

अफ़सोश नही.

तूने कितना कुच्छ सितम ना किया अये जालिम;
तुझे गम देने मे संतोष नही
और हमे वो सहने मे अफ़सोश नही...!!!

Monday 7 September 2015

उसका नाम....!!

उसकी यादों के भी नखरे उठाता हू मै अये ग़ालिब,
सौक मे 2 घूँट जाम पिता था तब मै,
बोतलें लुढ़कता हू मै अब अये ग़ालिब....!!

कह गए थी याद ना आउन्गि तुम्हे नई मसूका मिलने पर,
पर आज भी अक्सर नए को उसके नाम से ही बुला लेता हू अये ग़ालिब...!!!

उसकी यादों के भी नखरे उठता हू मै अये ग़ालिब,
नए को उसके नाम से ही बुला लेता हू अये गॅलाइब...!!!

माशुका मेरी.....!!!!


ताल्लुक उसके तोड़ लेने पे हम अपना कसूर ढूढ़ने मे पड़े थे,
वो बेरहम जब डोली मे थी; हम जनाज़े की सैर मे थे!!!

गीली लकड़ी से किया था इश्क़ हमने ग़ालिब,
गीली लकड़ी से किया था इश्क़ हमने ग़ालिब,
ना पूरा जला पाए थे और ना अब बुझा पा रहे.
पढ़ कर अगर वाह वाह निकली हो दिल से--
वाह सुने सदिया हो गए लगता है मुझे
.
क्यूकी
वाह तो हम उनके हुश्न पर ही सुना करते थे.
सही सुना आपने-
वाह वाह तो उनके हुश्न पर ही सुना करते थे...
तुमने हालाँकि पुचछा नही की-
"सुना करते थे या खुद वाह वाह कहा करते थे?"


सुना करते थे....!!!
सुना करते थे फिर बोलने वालो को भी चुप करा दिया...
उस नूर परी को अपनी मसूका बना कर...!!

फिर मोहब्बत ना हो जाए.....!!!

दो लव्ज़ उनके सुन लू वापस,
इन्तेकाम ये इंतज़ार केवल इसी के खातिर,

दो लव्ज़ सुन लू उनके;
लीबाज़ उनकी पसंद के पहेन लू आज; उनकी मुस्कान के खातिर;
लीबाज़ उनकी पसंद के
इतनी बरकत करना की ये लीबाज़ उन्हे मोहब्बत ना करा दे हमसे;
और उनके दो लव्ज़ हमे उनका ना बना दे ये बरकत करना अये मौला.

वादे याद आज भी है....

गिर गये हम इतना तेरी बेवफ़ाई के मारे;
तेरी याद हालाँकि सलामत आज भी है;
तन्हाइयों मे कुच्छ बोतलों क सहारे;
साथ पिएँगे वो वादे याद आज भी है....!!

प्यार क्या है
प्यार क्या है सवाल किया था उसने;
प्यार क मोहताज होकर;
अब हम जवाब ढूढ़ पाए है साथियों!!
और जवाब भी यही की-

"प्यार लाजवाब है"

इश्क़ का हश्र....?

इतनी सिद्दत्त से की थी मोहब्बत,
तो ये हश्र हुआ अय ग़ालिब,
जिंदा-मौत से भी बड़ी कोए सज़ा होती है क्या??

दुआएँ मागने गया था उसके दर पर,
की मेरी भी उमर तुझे लग जाए;
क्यूकी जीते जी मरने छ्चोड़ गए वो हुमको,
कम से कम वो तो थोड़ा और जी जाय...!!!

कैसा नशा है तू मेरी हन...,,

कहने को दूर तो है तू,

पर यादों मे अब भी है!

मिलते नही हम अब,

पर सपने मे साथ सोते है!

साझा करना कुच्छ भी अब कैसे हो,

पर एक एक्सट्रा कॉफी तेरे नाम की पी लेते है!

अकेलेपन मे भी याद नए आती थी कभी तू,

पर अब भीड़ मे भी तन्हा महसूस करते है!

कभी बातें खत से करते थे,

अब खुद को भी खत लिखते है!

कभी तेरे जाने का गुम होगा ये सोचकर डर गये थे,

अब तू नही है ये हर पल जीते है हम!

तुझे बेतक देखने पर तू मना करती थी,

अब तेरी पिक्स को घंटो निहारते है.!

कैसा नशा है तू मेरी हन,

बोतलों मे भी नही उतरे पर नशे मे खुद को पाते है !!!

ग़मे ज़िंदगी...

2 पल की मौत को कोसने वालो,

असली आफ़त तो ये ग़मे ज़िंदगी ही है..

ना तो गुजरती है; और ना ही सवरती है!!!!

शायरी मे उतर लेती है ग़ालिब.......

मौकाए परस्ती अब
उनकी जगह उनकी यादें कर लेती है अये ग़ालिब...

मौकाए परस्ती अब
उनकी जगह उनकी यादें कर लेती है अये ग़ालिब...

महफ़िल मे शब्द नही मिलते पर....
सन्नतों मे वो शायरी मे उतर लेती है ग़ालिब......!!

ज़िंदा हू पर........!!!

तेरी उन अदाओं से था प्यार मुझे पर अब नही,
वो आवाज़ और कुच्छ अहसास भी....
पर अब नही ऐतबार उन पर भी...!!!

ताज्जुब बे कोहराम तो एस बात का हे की;
ज़िंदा हू पर ज़िंदगी से ऐतबार नही.!!



ज़िंदा हू पर ज़िंदगी से ऐतबार नही.!!

बोतलें....और वो...!!!


कुसूर-ए-मोहब्बत हम क्यू निकालें;
होश मे हम अब भी है ग़ालिब;
दो चार बोतलें अब असर नही करती!!

दर्द को मिटाने की दवा अगर एन्हि बोतलों मे ही है,
बोल लो उनसे ज़हर हमे वही आकर पीला दें तो अच्छा हे....

Sunday 6 September 2015

न्यू ईयर-2015.....नया साल मनाउ...???


नया साल मनाउ...???

उजड़े इश् मन को कैसे मै सम्झाउ

आते जाते हर राह मे बीता साल बितौउ,

वो कहते हैं मई नया साल मनाउ..!!

उनकी चिता जलाकर आज पिच्छाले साल मनाउ

अब कैसे खुशी मनाउ...नया साल मनाउ....!!!

Sunday 30 August 2015

आसपास.....संसार....!!

वो आज भी वही है,
रॅंच मात्रा का बदलाव नही,
सोचा था वक़्त के थपेड़े असर करेंगे,
गरम हवायों से सिकेंगे जब चहेरे,
तो बदलाव की धार फुटेगी....पर नही...!!

कुच्छ दो नौकाओं मे पैर रखने वाले लोग,
समझते नही सीधा सा लॉजिक,
गिर जाते है बीच मज़धार मे अक्सर,
फिर भी...बचपाना....करते है...!!

मंज़िल....!!!

लहरे रात हो या दिन कश्ती को च्छू ही लेती है,
ख्वाब समंदर मे डूबे हो तो फिर रूह कसक सहती है,
अरमान तो सोए ही होते है अक्सर ग़ालिब,
इरादों मे हो दम  तो मंज़िल कदम चूम ही लेती है.

तू नही है.....!!

अकेलापन बाटने दोस्त है,
पर अब ज़रूरत सी नही,

सुनसान रास्तों पर अब डर है ही नही,
आँखें बंद करो,
या गहरे पानी मे जाओ,
वो सब बीते लम्हे....

और तेरा साथ...
तेरे हाथ नही छ्चोड़ते मुझे अकेला;
तू नही है ये शायद
तेरे होने से बढ़कर है क्या?

मेरी नफ़रत....

शब्द नही मिलते पर जेह्न मे विचार आते है,
यादें आती है उनकी भले ही वो हमे नही मिलते है...!!
मेरी नफ़रत भी अब चाहत हुई है ,
दर्द है दिल मे पर उनके लिए बुरे विचार नही आते है...!!!

यादें तेरी.....

मुस्कुराने की वज़ह है उनकी यादें,
तो क्यू कहें यादों से की हमे सताना छ्चोड़ दें,
किसी और पर दिल लगाने दे और हमे रुलाना छ्चोड़ दे,
रुसवा हो जाती ह उनकी यादें अगर किसी और को च्छू भी लो अब भी तो,
किसी और क हो जाएँगे तो क्या पता हम मुस्कुराना ना छ्चोड़ दें.

उनकी यादों को दूर करना मेरे बस मे ऩही,
दूर करना चाहो तो जीना मुश्किल हो जाता है,.!!
और पास रखो तो लोग कहते हे हम जीना भूल गये है...!!

पहेल का लोचा.....!!!

पहेल का लोचा.....!!

वक़्त गुजर गया;
पर दोबारा मोहब्बत ना हुई,
वो भी चुप थे;
हमे भी सन्नाटे चीरने की हिम्मत ना हुई...!!
विचारों का ना मिलना तो;
एक कारण भर है रिश्ता तोड़ने को,

ना पहल तुमसे हुई...
ना पहल हमसे हुई.!!


पर मोब्बत ना हुई......पहल ना तो तुमसे हुए.....ना तो हमसे हुई....!!!


वक़्त कितना होगया ना हमारे बीच;
अल्फ़ाज़ की अदला-बदली ना हुई;

सन्नतों मे बैठे हम;
एक दूसरे को निहारते हुए,
सीकायतें नही एक दूसरे से
पर मोब्बत ना हुई

टूट गया एक बार कोई जब रिस्ता,
खुदा लाख चाह ले;

पर प्यार की पहल;
ना तो तुमसे हुए.....ना तो हमसे हुई....!!!

चाँद से मोहब्बत....

चाँद से इतनी मोहब्बत का परवान मत चढ़ाओ,
आशिक़ हो पर उनके दीदार बस से इतना ना इतराओ
आपकी आशिक़ी है उससे ये मानता हू मै...
पर वो रोशनी बराबर सभी को देता है भूल ना जाओ.

Sunday 23 August 2015

तेरे संग ज़िंदगी के मायने ...


शमा-ए-शाम को इतराना आता है,
तुम्हे मुस्कुराते देखने मे हमे मज़ा आता है,

चाँद से की थी सिफारिश ग़मे अमावस हटाने की,
अब एस रोशनी मे तुझसे अपनी पलकें हटाने मे जी कतराता है....!!!

तेरे बिन जी ना पाएँगे ये मत सोचना कभी,
बात कुच्छ ऐसी है की....
तेरे संग ज़िंदगी के मायने ही जन्नत से होंगे..!!!!

सपने......!!!! अधूरे रहने दो

कुच्छ सपने,
अधूरे रहने दो,
ख्वाबो को,
थोड़ा और बढ़ने दो,

चाहतें उनको पाने की,
बढ़ेगी ज़रूर,
पर लंगर खोलो,
और नाव को बहने तो दो.

जिंदा किसे कहूँ...........मुर्दा किसे कहूँ.......!!!

जिंदा किसे कहूँ...........मुर्दा किसे कहूँ.......!!!

जिंदगी ने ही रुख़ जब मोड़ लिया तो उसको बेवफा क्यू कहूँ,
जिंदादिली भी जनाज़े मे सिमट गए तो जिंदा किसे कहूँ,

हर वक़्त दिया साथ जिसने उसको बेरहम कैसे कहूँ,
नदियाँ ही जब धार मोड़ गई;
तो पतवार की धार को क्यू बुरा कहूँ,..!!!


तूफान आया था समुंदर मे जब; लहरें सहम गई,
आना नही थी चाहती उनकी भी रूह कतर गई,
बेकसूर साबद ही ऐसा है जो बेरहम को भी हिला दे,
सच मानो उसी वक़्त नाव से समुंदर की लहर सिमट गए...!!!


जिंदा उसको कहूँ या जिंदा हमे कहूँ,,
हर राह मे तकदीर जो पलटी; पर्दे मे क्यू रहू
दूर होकर भी पास है अब तो वो मेरे आए मेरे साथियों,
मर गया मै उसके लिए पर सोचता हू मुर्दा उसे काहु....!!!

जिंदा किसे कहूँ...........मुर्दा किसे कहूँ.......!!!

""बोतलें....और वो""


कुसूर-ए-मोहब्बत हम क्यू निकालें;
होश मे हम अब भी है ग़ालिब,
दो चार बोतलें अब असर नही करती,

दर्द को मिटाने की दबा अगर एन्हि बोतलों मे ही है,

बोल लो उनसे ज़हर हमे वही आकर पीला दें तो अच्छा है!!!

हाथ ना छोड़ना हमराही...

बहुत सारे सपने है जो साथ के देखे है....
हर लम्हा तुम्हे खुश रखने के वादे है...
डगर पर बस तू हाथ ना छोड़ना हमराही...
मुस्किलों से हो जाए भले ही ज़ख्मी...
जंग भी जीतेंगे,
तेरा दिल भी जीतेंगे.....बार बार....
बस तेरी हसी के खातिर...
बस तू हाथ ना छोड़ना हमराही...!!!

अपनो से डरती है...

उस कोने मे बैठकर जो एकांत सा है,
सोचता था मे अक्सर एक हठीली सी लड़की,

सपने वाली पर कुच्छ गंभीर सी....लड़की
जो सपनो से डरती है...अपनो से डरती है...

कही है वो चुप सी रहती और कम बोलती है...
खुश क्यू हू मे पता है क्या तुम्हे......??
क्यूकी वो मुझसे खुलकर सब कहती है....!!!

अज्जीब सी है उसकी कुच्छ कुच्छ दिक्कतें....
ना जाने कैसे कब मे.....द्दूर सा कर दूँगा....उसको
उसको खुश सा कर दूँगा....ना जाने कब....

खुशिया का छोटा सा लबादा भी उसको गगन सा... 
और सूनामी सा बड़ा लगता है गम सा साया जो रहता उसके पास है
डोर होगा वो सब कुच्छ.....सब कुच्छ जो उसे गमगीन सा करता है....


वो अप्सरा है...पता है क्या तुम्हे....
मुस्कान मे उसकी मानो रोशनी है
जो दीप्टमना कर दे अमावस भी....
ऐसी खुशिया भारी है उस खिलखिलाहट मे...उसके...!!!

उस कोने मे बैठकर जो एकांत सा है,
सोचता था मे अक्सर एक हठीली सी लड़की,

Monday 10 August 2015

Chahat Uski bhi thi....

Vo dam bhar kr kyu nahi ladti atyacharo se,

Haqk to use bhi tha khushiyon ka pyar mohabbat laad dulaar  ka...

Saham si jati h bachpana bat kro jab to...

Kyu mol nahi unko uski khushiya uske adhikaro ka...??


Sapne uske duniya uski sab k sab tum par kurban kaha vo kyu na krti...

Chaha to do took pyaar bas tha usne apne adhikaro ka...!!!


Chahat to Uski bhi thi....
fir bhi...
Vo dam bhar kr kyu nahi ladti....Kyu Nahi...!!!

Saturday 18 July 2015

Tere Sang Zindagi ke Mayne....

Kuchh alfaz unke liye jo es dil ko dard ke samandar me chhod gaye hai aur Chain ki need sote hai. Unki need me khalal to paida kabse es Blog ne ki hai....aaj fir se ek prayas aap sab k samne:-


Shama-E-Shaam ko Itrana aata hai,

Tumhe Muskurate Dekhne Me Hume Maza Aata Hai,

Chand se ki thi Sifarish Game Amavas Hatane ki,

Ab Es Roshni me Tujhse apni Palken hatane me Jee Katrata hai....!!!


Tere Bin Jee Na Paunga Ye Mat Sochna Kabhi,

Baat Kuchh aisi hai ki....

Tere sang zindagi ke mayne hi Kuchh jannat se Honge..!!!!



Thursday 5 February 2015

Sapne......!!!! Adhure rehne do

Kuchh sapne adhure rehne do,
Khwabo ko thoda aur badhne do,
Chahten unko paane ki badhegi jaroor,
Par langar kholo aur naav ko behne to do.
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Chand se etni mohanbat ka parvan mat chadhao,
Aashiq ho par unke deedar bas se Etna na etrao,
Aapki ashiqi hai usse ye manta hu mai....
Par vo roshni barabar sabhi ko deta hai bhul na jaao.

Friday 30 January 2015

Broken Relationships.....!!

Waqt kitna hogya na hamare beech;
Alfaz ki adla-badli na huee;


Sannaton me baithe hum;
Ek dusre ko niharte huye,
Sikayaten nahi ek dusre se
Par mohhabbat na hue;


Toot gya ek baar koe jab Rista,
Khuda laakh chah le;

Par pyaar ki pahal;
Na to tumse hue.....Na to Humse hue....!!!

Tuesday 27 January 2015

Pahel ka Locha.....!!! Initiation....!!

Waqt gujar gya;
par dobara mohabbat na hue,

vo bhi chup they;
hume sannate cheerne ki himmat na hue...!!

vicharon ka na milna to;
ek karan bhar hai rishta todne ko,

Na pahal tumse hue...
na pahal humse hue.!!

Yaaden Teri.......Hun....!!

Muskurane ki wazah hai unki yaden,
To kyu kahen Yadon se ki hame satana chhod den,
Kisi aur par dil lagane de aur hame rulana chhod de,
Ruswa ho jati h unki yaden agar kisi aur ko chhu bhi lo ab bhi to,
Kisi aur k ho jayenge to kya pata hum muskurana na chhod den.


Unki Yaadon ko door krna mere bas me nae,
Door krna chaho to jeena musqkil hojata h.,.!!
Aur pass rakho to log kehte h hum jeena bhool gye hai...!!
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Friday 23 January 2015

Na pahel tumse hue... na pahel humse hue...!! (initiation in Love)


Waqt gujar gya,
par dobara mohabbat na hue,

vo bhi chup they;
hume sannate cheerne ki himmat na hue...!!



vicharon ka na milna to ek karan bhar hai rishta todne ko,
Na pahel tumse hue...
na pahel humse hue.!!

Monday 19 January 2015

Meri Nafrat....

Sabd nahi milte par jehen me vichar aate hai,
Yaaden aati h unki bhale hi vo hume nahi milte hai...!!

Meri nafrat bhi ab chahat hue hai Hun,
Dard hai dil me par unke liye bure vichar nae aate hai...!!!

Saturday 17 January 2015

Tu nahi hai.....!!

Akelapan batne dost hai par ab jarurat si nahi,
Sunsan raston par ab dar h hi nahi,

Ankhen band kro ya gahre Pani me jao,
Vo sab beete lamhe....
aur tera sath...tere hath nahi chhodte mujhe akela;

Tu nahi hai ye sayad tere hone se badhkar hai kya?

Manzil....!!!

Lahre rat ho ya din kashti ko chhu hi leti hai,
Khwab samandar me doobe ho to fir rooh kasak sehti hai,
Arman to soye hi hote hai aksar Galib,

Iradon me ho dum to manjil kadam chum hi leti hai.

Tuesday 13 January 2015

Aaspas.....Sansaar....!!

Vo aaj bhi vahi hai,
Ranch matra ka badlaav nahi,
socha tha waqt ke thapede asar krenge,
garam hawayon se sikenge jab chehere,
to badlaav ki dhaar phutegi....par nahi...!!

Kuchh do naukaon me pair rakhne wale log,
samjhte nahi seekha sa logic,
Gir jate hai bich mazdhaar me aksar,
Fir bhi...bachpana....karte hai...!!


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Many more soon..??




Thursday 1 January 2015

New Year-2015

Naya saal manau....???

ujade es man ko kaise mai samjhaun,

aate jaate har raah me beeta saal bitaun,

vo kehte hain mai naya saal manau..!!

काश दीवारें बोलतीं !

 काश दीवारें बोलतीं ! मेरे ऑफिस के बगल वाले रेस्टोरेंट की दीवारें मेरे ऑफिस का पूरा गपशप जानतीं और थोड़ा लालच देने पर शायद ऑफिस की चुगलियां क...