Sunday, 30 August 2015

आसपास.....संसार....!!

वो आज भी वही है,
रॅंच मात्रा का बदलाव नही,
सोचा था वक़्त के थपेड़े असर करेंगे,
गरम हवायों से सिकेंगे जब चहेरे,
तो बदलाव की धार फुटेगी....पर नही...!!

कुच्छ दो नौकाओं मे पैर रखने वाले लोग,
समझते नही सीधा सा लॉजिक,
गिर जाते है बीच मज़धार मे अक्सर,
फिर भी...बचपाना....करते है...!!

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