अकेलापन बाटने दोस्त है,
पर अब ज़रूरत सी नही,
सुनसान रास्तों पर अब डर है ही नही,
आँखें बंद करो,
या गहरे पानी मे जाओ,
वो सब बीते लम्हे....
और तेरा साथ...
तेरे हाथ नही छ्चोड़ते मुझे अकेला;
तू नही है ये शायद
तेरे होने से बढ़कर है क्या?
पर अब ज़रूरत सी नही,
सुनसान रास्तों पर अब डर है ही नही,
आँखें बंद करो,
या गहरे पानी मे जाओ,
वो सब बीते लम्हे....
और तेरा साथ...
तेरे हाथ नही छ्चोड़ते मुझे अकेला;
तू नही है ये शायद
तेरे होने से बढ़कर है क्या?
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