वक़्त कितना होगया ना हमारे बीच;
अल्फ़ाज़ की अदला-बदली ना हुई;
सन्नतों मे बैठे हम;
एक दूसरे को निहारते हुए,
सीकायतें नही एक दूसरे से
पर मोब्बत ना हुई
टूट गया एक बार कोई जब रिस्ता,
खुदा लाख चाह ले;
पर प्यार की पहल;
ना तो तुमसे हुए.....ना तो हमसे हुई....!!!
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