वो कहती है ये लड़ना ये झगड़ना दूर करता है हमको,
तुम दूर कर दो मजबूरियाँ तनहाईयाँ...
मै कहता हू तपिश-ए-बदगुमानी मे कुच्छ भी हो मोहब्बत मेरी कम हो नही सकती...!!!
मै कहता हू सुनो जाना,
ये तकरार का अधिकार है मुझको,
तुम्हे इसमे मेरा प्यार क्यू नही दिखता...
मै कहता हू तू मेरी महबूबा मेरा प्यार मेरा सब कुच्छ है जाना ....
कैसे तुझे खुद से दूर जाने दूँगा मै...
वो कहती है कुच्छ लोग कहते है
ये छ्होटी बातें बड़ी बन जया करती है...अगर लगाम ना लगाओ तो,
वो कहती है....मोहब्बत एक मोंम का पुतला है...
इसको पिघला देंगी वो गर्म आँचे वो गर्म हवाएँ....
मै कहता हू सुनो जाना...
झुलस जाए तन भी अगर मेरा तो,
वो गरम हवाए प्यार को ना च्छू पाएँगी,
इतना विस्वास करो अपनी मोहब्बत मे...!!!
मै कहता हू अब सुन तू मुझे....मेरी जाना...
मै कहता हू अब सुन तू मुझे....मेरी जाना...
तेरी आँखो मे ये प्यार मेरी मुस्कान के खातिर,
तेरा वो चुपचाप दर्द का सहना...
तेरी बातें तेरा वो खिलखिला कर हसना..
बड़ा मशगूल करता है मुझे तेरे इस प्यार मे पड़ना...
वो कहती है तेरी बाते तेरे वादे सब सुनने मे तो अच्छे लगते है; पर क्या पूरे होंगे कभी,
मै कहता हू
भरोशा रखो अये जाना
इन्ही वादों पर...अंतिम सांस तक कोशिशे रहेंगी मेरी...!!
किसी की बात मे ना आओ
कभी तकरार ना की हमने...
कोई ये फ़ैसला कर नही सकता की फ्यूचर क्या होगा हमारा...
हर बात जो तुझसे जुड़ी
हर जख्म जो तेरे मेरे दर्द बन जाए अये जाना
और क्या ही मागू मै खुदा ने अगर पूछि है मेरी रजा...
मै कहता हू यही रब से यही मेरी गुज़ारिश है...
सभी दर्द दे दो उसके चुपके से मुझे उसकी मुस्कान सबसे प्यारी है....
ना मागा रब से कभी कुच्छ वो उपर वाला भी क्या सोचता होगा...
तेरी खुशियो के खातिर ये अड़ियल तेरा प्रेमी अडिग सा रुका रा होगा...
वो कहती है तुम जीने मे मेरे मुश्क़िले पैदा करते हो...
किससे बात करू किससे ना करू ये भला तुम कैसे कहते हो....
मै कहता हू दूर करदो ये बुराइयां मेरे मन से मेरा इलाज़ बन जाओ....
तेरी ज़रूरत है तेरे प्यार की एस दिल को...मेरा हमसफ़र बन जाओ....
बड़ा दर सा लगता है बड़ा असहज महसूस करता हू...
मोहब्बत है तुझसे मुझे ये बात तो है ही..
पर एक बात सच सच कहु की तेरा बड़ा सम्मान करता हू...
तेरी बातो को सुनता हू मै मानता भी तो हूँ....
तेरी हर ख्वाहिशो को पूरा करने की कसम मै लेता हू...
वो कहती है...बातें बनाना कोए तुमसे सीखे..
नाटक मंडली के सरताज तुम ही...
मै कहता हू सच कहता हू विस्वास करो मेरा....
तुम्ही से मोहब्बत तुम्ही से ही है आशिक़्क़ी...!!! यही ये जीवन है...!!!
तुम दूर कर दो मजबूरियाँ तनहाईयाँ...
मै कहता हू तपिश-ए-बदगुमानी मे कुच्छ भी हो मोहब्बत मेरी कम हो नही सकती...!!!
मै कहता हू सुनो जाना,
ये तकरार का अधिकार है मुझको,
तुम्हे इसमे मेरा प्यार क्यू नही दिखता...
मै कहता हू तू मेरी महबूबा मेरा प्यार मेरा सब कुच्छ है जाना ....
कैसे तुझे खुद से दूर जाने दूँगा मै...
वो कहती है कुच्छ लोग कहते है
ये छ्होटी बातें बड़ी बन जया करती है...अगर लगाम ना लगाओ तो,
वो कहती है....मोहब्बत एक मोंम का पुतला है...
इसको पिघला देंगी वो गर्म आँचे वो गर्म हवाएँ....
मै कहता हू सुनो जाना...
झुलस जाए तन भी अगर मेरा तो,
वो गरम हवाए प्यार को ना च्छू पाएँगी,
इतना विस्वास करो अपनी मोहब्बत मे...!!!
मै कहता हू अब सुन तू मुझे....मेरी जाना...
मै कहता हू अब सुन तू मुझे....मेरी जाना...
तेरी आँखो मे ये प्यार मेरी मुस्कान के खातिर,
तेरा वो चुपचाप दर्द का सहना...
तेरी बातें तेरा वो खिलखिला कर हसना..
बड़ा मशगूल करता है मुझे तेरे इस प्यार मे पड़ना...
वो कहती है तेरी बाते तेरे वादे सब सुनने मे तो अच्छे लगते है; पर क्या पूरे होंगे कभी,
मै कहता हू
भरोशा रखो अये जाना
इन्ही वादों पर...अंतिम सांस तक कोशिशे रहेंगी मेरी...!!
किसी की बात मे ना आओ
कभी तकरार ना की हमने...
कोई ये फ़ैसला कर नही सकता की फ्यूचर क्या होगा हमारा...
हर बात जो तुझसे जुड़ी
हर जख्म जो तेरे मेरे दर्द बन जाए अये जाना
और क्या ही मागू मै खुदा ने अगर पूछि है मेरी रजा...
मै कहता हू यही रब से यही मेरी गुज़ारिश है...
सभी दर्द दे दो उसके चुपके से मुझे उसकी मुस्कान सबसे प्यारी है....
ना मागा रब से कभी कुच्छ वो उपर वाला भी क्या सोचता होगा...
तेरी खुशियो के खातिर ये अड़ियल तेरा प्रेमी अडिग सा रुका रा होगा...
वो कहती है तुम जीने मे मेरे मुश्क़िले पैदा करते हो...
किससे बात करू किससे ना करू ये भला तुम कैसे कहते हो....
मै कहता हू दूर करदो ये बुराइयां मेरे मन से मेरा इलाज़ बन जाओ....
तेरी ज़रूरत है तेरे प्यार की एस दिल को...मेरा हमसफ़र बन जाओ....
बड़ा दर सा लगता है बड़ा असहज महसूस करता हू...
मोहब्बत है तुझसे मुझे ये बात तो है ही..
पर एक बात सच सच कहु की तेरा बड़ा सम्मान करता हू...
तेरी बातो को सुनता हू मै मानता भी तो हूँ....
तेरी हर ख्वाहिशो को पूरा करने की कसम मै लेता हू...
वो कहती है...बातें बनाना कोए तुमसे सीखे..
नाटक मंडली के सरताज तुम ही...
मै कहता हू सच कहता हू विस्वास करो मेरा....
तुम्ही से मोहब्बत तुम्ही से ही है आशिक़्क़ी...!!! यही ये जीवन है...!!!
Vo Kehti hai suno Jana...
ReplyDeletehttp://awanishnicmar.blogspot.com/2015/09/blog-post_13.html?spref=fb
Vo kehti hai ye ladna ye jhagdna door krta hai humko, tum door kar do majbooriyan tanhaeyan...
ReplyDeleteMai keta hu tapish-e-badhumani me kuchh bhi ho mohabbat meri kam ho nahi sakti...
Mai kehta hu suno Jana ye takrar ka adhikar hai mujhko, tumhe esme mera pyaaar kyu nahi dikhta...
Mai kehta hu tu meri mehbooba mera pyaar mera sab kuchh hai Jana ....kaise tujhe khud se door jaane dunga mai
Vo kehti hai kuchh log kehte hai ye chhoti baten Badi ban jaya krti hai...agar lagam na lagao enpar to
Vo kehti hai....mohabbat ek mom ka putla hai...ese pighala dengi vo garm anche vo garm hawayen....
Mai kelta hu suno Jana...jhulas jaye tan bhi agar mera to vo garam hawaye pyaar ko na chhu payenge Etna visawas karo apni mohabbat me...
Mai kehta hu ab sun tu mujhe....meri Jana...
Teri ankho me ye pyaar meri muskan k khatir tera vo chupchap dard ka sehna...Teri baten tera vo khilkhila kar hasna..bada mashgool krta hai mujhe tere es pyaar me padna...
Vo kehti hai Teri baate tere Wade sab sunne me to achhe lagte hai; par kya pure honge kabhi,
Mai kehta hu bharosha rakho aye Jana en wado par...antim sans tak koshishe rahengi meri...
Kisi ki baat me na aao kabhi takrar na ki humne...koe ye faisala kar nahi skta ki future kya hoga hamara...
Har baat Jo tujhse Judi har jakhm Jo tere mere dard ban jaaye aye Jana aur kya Hi maagu mai khuda ne agar puchhi h meri raja
Mai kehta hu yahi rab se yahi meri gujarish hai...sabhi dard de do uske chupke se mujhe Teri muskan qki sabse pyaari hai....
Na maga rab se kabhi kuchh vo upar wala bhi kya sochta hoga...teri khushiyo k khatir ye adiyal tera premi adig sa ruka rha hoga...
Vo kehti hai tum jeene me mere mushqile paida krte ho...kisse bat karu kisse na kru ye bhala tum kaise kehte ho....mai kehta hu door kardo ye buraeyan mere man se mera ilaaz ban jaao....Teri jaroorat hai tere pyaar ki es dil ko...mera humsafar ban jaao
Bada dar sa lagta hai bada asahaj mehsoos krta hu...mohabbat hai tujhse mujhe ye baat to hai Hi..par ek bat sach sach keh du ki Tera bada samman krta hu...
Teri baato ko sunta hu mai manta bhi to hoon....Teri har khwahisho ko pura krne ki kasam mai leta hu
Vo kehti hai...baaten banana koe tumse Sikke....natak mandali k sartaj tum Hi...
Mai kehta hu sach kehta hu viswas karo mera....tumhi se mohabbat tumhi se Hi hai ashiqki
Thanks for providing in Roman;
Deletemost awaited poem after long time sir
ReplyDeletefeelings and words are appreciable
Yaar... I have fallen in love with u.. Ur expressions are honest...
ReplyDeleteThank You Dear...
DeleteYaar... I have fallen in love with u.. Ur expressions are honest...
ReplyDeleteYaar... I have fallen in love with u.. Ur expressions are honest...
ReplyDeleteThank You Surabhi Ji
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