Tuesday 28 April 2020

अब जी कतराता है .. #CORONA


लक्षण तो नहीं कुछ मुझमे कोरोना के...
ये देखने
खुद को आईने में अब निहारता हूँ
बालों को सही जगह करने नहीं
बल्कि खुद पर एक तरह की नज़र रखने

मन सहम जाने लगा
जब बेचैनी सी होती है कभी
खुद से बातें करना आने लगा
सात दस फिर महीने तक लॉक डाउन
बढ़ते जा रहे समय और सख्त होते कानून

वो कहते हैं घर से ही काम करना नया चलन है
आज मैं काम में कैसे दक्षता दिखाऊ
परेशांन हूँ मैं अप्रत्याशित दुश्मन का बढ़ता आयाम देखकर
टूटते तंत्र और टूटते अरमान देखकर

आज सब भूलकर बाहर एक बार घूम आने को जी चाहता है
मरने के पहले इंसान जी भर कर जी लेना चाहता है
मेरे टूटे अरमानो अब मुझे अलविदा कहो
इस तरह की दुनिया से अब जी कतराता है 

Sunday 5 April 2020

Corona - कोरोना - आपदा है सदी की भयंकर, कवि कहानी नहीं कह रहा है

जब बंद हैं सड़कें, दुकान, गाड़ियां और कामकाज
घर में रहें तो रहें ,,,, कैसे बिताएं समय
ऐसे में खुल रहे लोगो के अंदरूनी - राज

इस कोरोना वायरस ने ठान सी ली है मन में कुछ ऐसी
सबक सीखने को मानवता को कई अजीबो-गरीब चीजों की
कोई कहता है प्रदूषण कम हुआ है और
पर्यावरण की बात करता है
तो कोई भूंखे खरीबों के दर्द को बयां करता है

आज कई हाथ खड़े हो रहे हैं सहयोग को
तो कई नियम कानून तोड़ कर कर पता नहीं क्या जाताना चाहते हैं

मानवता के भविष्य का पता नहीं है ...
आपदा है सदी की भयंकर... पर कोई यकीन क्यों नहीं कर रहा है !!

मानो या ना मानो पर हकीकत यही है .... कवि कहानी नहीं कह रहा है  !! 

काश दीवारें बोलतीं !

 काश दीवारें बोलतीं ! मेरे ऑफिस के बगल वाले रेस्टोरेंट की दीवारें मेरे ऑफिस का पूरा गपशप जानतीं और थोड़ा लालच देने पर शायद ऑफिस की चुगलियां क...