Sunday 30 August 2015

आसपास.....संसार....!!

वो आज भी वही है,
रॅंच मात्रा का बदलाव नही,
सोचा था वक़्त के थपेड़े असर करेंगे,
गरम हवायों से सिकेंगे जब चहेरे,
तो बदलाव की धार फुटेगी....पर नही...!!

कुच्छ दो नौकाओं मे पैर रखने वाले लोग,
समझते नही सीधा सा लॉजिक,
गिर जाते है बीच मज़धार मे अक्सर,
फिर भी...बचपाना....करते है...!!

मंज़िल....!!!

लहरे रात हो या दिन कश्ती को च्छू ही लेती है,
ख्वाब समंदर मे डूबे हो तो फिर रूह कसक सहती है,
अरमान तो सोए ही होते है अक्सर ग़ालिब,
इरादों मे हो दम  तो मंज़िल कदम चूम ही लेती है.

तू नही है.....!!

अकेलापन बाटने दोस्त है,
पर अब ज़रूरत सी नही,

सुनसान रास्तों पर अब डर है ही नही,
आँखें बंद करो,
या गहरे पानी मे जाओ,
वो सब बीते लम्हे....

और तेरा साथ...
तेरे हाथ नही छ्चोड़ते मुझे अकेला;
तू नही है ये शायद
तेरे होने से बढ़कर है क्या?

मेरी नफ़रत....

शब्द नही मिलते पर जेह्न मे विचार आते है,
यादें आती है उनकी भले ही वो हमे नही मिलते है...!!
मेरी नफ़रत भी अब चाहत हुई है ,
दर्द है दिल मे पर उनके लिए बुरे विचार नही आते है...!!!

यादें तेरी.....

मुस्कुराने की वज़ह है उनकी यादें,
तो क्यू कहें यादों से की हमे सताना छ्चोड़ दें,
किसी और पर दिल लगाने दे और हमे रुलाना छ्चोड़ दे,
रुसवा हो जाती ह उनकी यादें अगर किसी और को च्छू भी लो अब भी तो,
किसी और क हो जाएँगे तो क्या पता हम मुस्कुराना ना छ्चोड़ दें.

उनकी यादों को दूर करना मेरे बस मे ऩही,
दूर करना चाहो तो जीना मुश्किल हो जाता है,.!!
और पास रखो तो लोग कहते हे हम जीना भूल गये है...!!

पहेल का लोचा.....!!!

पहेल का लोचा.....!!

वक़्त गुजर गया;
पर दोबारा मोहब्बत ना हुई,
वो भी चुप थे;
हमे भी सन्नाटे चीरने की हिम्मत ना हुई...!!
विचारों का ना मिलना तो;
एक कारण भर है रिश्ता तोड़ने को,

ना पहल तुमसे हुई...
ना पहल हमसे हुई.!!


पर मोब्बत ना हुई......पहल ना तो तुमसे हुए.....ना तो हमसे हुई....!!!


वक़्त कितना होगया ना हमारे बीच;
अल्फ़ाज़ की अदला-बदली ना हुई;

सन्नतों मे बैठे हम;
एक दूसरे को निहारते हुए,
सीकायतें नही एक दूसरे से
पर मोब्बत ना हुई

टूट गया एक बार कोई जब रिस्ता,
खुदा लाख चाह ले;

पर प्यार की पहल;
ना तो तुमसे हुए.....ना तो हमसे हुई....!!!

चाँद से मोहब्बत....

चाँद से इतनी मोहब्बत का परवान मत चढ़ाओ,
आशिक़ हो पर उनके दीदार बस से इतना ना इतराओ
आपकी आशिक़ी है उससे ये मानता हू मै...
पर वो रोशनी बराबर सभी को देता है भूल ना जाओ.

Sunday 23 August 2015

तेरे संग ज़िंदगी के मायने ...


शमा-ए-शाम को इतराना आता है,
तुम्हे मुस्कुराते देखने मे हमे मज़ा आता है,

चाँद से की थी सिफारिश ग़मे अमावस हटाने की,
अब एस रोशनी मे तुझसे अपनी पलकें हटाने मे जी कतराता है....!!!

तेरे बिन जी ना पाएँगे ये मत सोचना कभी,
बात कुच्छ ऐसी है की....
तेरे संग ज़िंदगी के मायने ही जन्नत से होंगे..!!!!

सपने......!!!! अधूरे रहने दो

कुच्छ सपने,
अधूरे रहने दो,
ख्वाबो को,
थोड़ा और बढ़ने दो,

चाहतें उनको पाने की,
बढ़ेगी ज़रूर,
पर लंगर खोलो,
और नाव को बहने तो दो.

जिंदा किसे कहूँ...........मुर्दा किसे कहूँ.......!!!

जिंदा किसे कहूँ...........मुर्दा किसे कहूँ.......!!!

जिंदगी ने ही रुख़ जब मोड़ लिया तो उसको बेवफा क्यू कहूँ,
जिंदादिली भी जनाज़े मे सिमट गए तो जिंदा किसे कहूँ,

हर वक़्त दिया साथ जिसने उसको बेरहम कैसे कहूँ,
नदियाँ ही जब धार मोड़ गई;
तो पतवार की धार को क्यू बुरा कहूँ,..!!!


तूफान आया था समुंदर मे जब; लहरें सहम गई,
आना नही थी चाहती उनकी भी रूह कतर गई,
बेकसूर साबद ही ऐसा है जो बेरहम को भी हिला दे,
सच मानो उसी वक़्त नाव से समुंदर की लहर सिमट गए...!!!


जिंदा उसको कहूँ या जिंदा हमे कहूँ,,
हर राह मे तकदीर जो पलटी; पर्दे मे क्यू रहू
दूर होकर भी पास है अब तो वो मेरे आए मेरे साथियों,
मर गया मै उसके लिए पर सोचता हू मुर्दा उसे काहु....!!!

जिंदा किसे कहूँ...........मुर्दा किसे कहूँ.......!!!

""बोतलें....और वो""


कुसूर-ए-मोहब्बत हम क्यू निकालें;
होश मे हम अब भी है ग़ालिब,
दो चार बोतलें अब असर नही करती,

दर्द को मिटाने की दबा अगर एन्हि बोतलों मे ही है,

बोल लो उनसे ज़हर हमे वही आकर पीला दें तो अच्छा है!!!

हाथ ना छोड़ना हमराही...

बहुत सारे सपने है जो साथ के देखे है....
हर लम्हा तुम्हे खुश रखने के वादे है...
डगर पर बस तू हाथ ना छोड़ना हमराही...
मुस्किलों से हो जाए भले ही ज़ख्मी...
जंग भी जीतेंगे,
तेरा दिल भी जीतेंगे.....बार बार....
बस तेरी हसी के खातिर...
बस तू हाथ ना छोड़ना हमराही...!!!

अपनो से डरती है...

उस कोने मे बैठकर जो एकांत सा है,
सोचता था मे अक्सर एक हठीली सी लड़की,

सपने वाली पर कुच्छ गंभीर सी....लड़की
जो सपनो से डरती है...अपनो से डरती है...

कही है वो चुप सी रहती और कम बोलती है...
खुश क्यू हू मे पता है क्या तुम्हे......??
क्यूकी वो मुझसे खुलकर सब कहती है....!!!

अज्जीब सी है उसकी कुच्छ कुच्छ दिक्कतें....
ना जाने कैसे कब मे.....द्दूर सा कर दूँगा....उसको
उसको खुश सा कर दूँगा....ना जाने कब....

खुशिया का छोटा सा लबादा भी उसको गगन सा... 
और सूनामी सा बड़ा लगता है गम सा साया जो रहता उसके पास है
डोर होगा वो सब कुच्छ.....सब कुच्छ जो उसे गमगीन सा करता है....


वो अप्सरा है...पता है क्या तुम्हे....
मुस्कान मे उसकी मानो रोशनी है
जो दीप्टमना कर दे अमावस भी....
ऐसी खुशिया भारी है उस खिलखिलाहट मे...उसके...!!!

उस कोने मे बैठकर जो एकांत सा है,
सोचता था मे अक्सर एक हठीली सी लड़की,

Monday 10 August 2015

Chahat Uski bhi thi....

Vo dam bhar kr kyu nahi ladti atyacharo se,

Haqk to use bhi tha khushiyon ka pyar mohabbat laad dulaar  ka...

Saham si jati h bachpana bat kro jab to...

Kyu mol nahi unko uski khushiya uske adhikaro ka...??


Sapne uske duniya uski sab k sab tum par kurban kaha vo kyu na krti...

Chaha to do took pyaar bas tha usne apne adhikaro ka...!!!


Chahat to Uski bhi thi....
fir bhi...
Vo dam bhar kr kyu nahi ladti....Kyu Nahi...!!!

काश दीवारें बोलतीं !

 काश दीवारें बोलतीं ! मेरे ऑफिस के बगल वाले रेस्टोरेंट की दीवारें मेरे ऑफिस का पूरा गपशप जानतीं और थोड़ा लालच देने पर शायद ऑफिस की चुगलियां क...