चाँद से इतनी मोहब्बत का परवान मत चढ़ाओ,
आशिक़ हो पर उनके दीदार बस से इतना ना इतराओ
आपकी आशिक़ी है उससे ये मानता हू मै...
पर वो रोशनी बराबर सभी को देता है भूल ना जाओ.
आशिक़ हो पर उनके दीदार बस से इतना ना इतराओ
आपकी आशिक़ी है उससे ये मानता हू मै...
पर वो रोशनी बराबर सभी को देता है भूल ना जाओ.
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