लहरे रात हो या दिन कश्ती को च्छू ही लेती है,
ख्वाब समंदर मे डूबे हो तो फिर रूह कसक सहती है,
अरमान तो सोए ही होते है अक्सर ग़ालिब,
इरादों मे हो दम तो मंज़िल कदम चूम ही लेती है.
ख्वाब समंदर मे डूबे हो तो फिर रूह कसक सहती है,
अरमान तो सोए ही होते है अक्सर ग़ालिब,
इरादों मे हो दम तो मंज़िल कदम चूम ही लेती है.
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