Sunday 30 August 2015

यादें तेरी.....

मुस्कुराने की वज़ह है उनकी यादें,
तो क्यू कहें यादों से की हमे सताना छ्चोड़ दें,
किसी और पर दिल लगाने दे और हमे रुलाना छ्चोड़ दे,
रुसवा हो जाती ह उनकी यादें अगर किसी और को च्छू भी लो अब भी तो,
किसी और क हो जाएँगे तो क्या पता हम मुस्कुराना ना छ्चोड़ दें.

उनकी यादों को दूर करना मेरे बस मे ऩही,
दूर करना चाहो तो जीना मुश्किल हो जाता है,.!!
और पास रखो तो लोग कहते हे हम जीना भूल गये है...!!

2 comments:

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