हर साल बाल दिवस पर आ जाता है याद बचपना..!! शिक्षा का अधिकार, सुरक्षा और सदभावना के अलावा भी ना जाने कितने ही अधिकारों की बात करते है हम ना; हम कहते है की बच्चे ही भविस्य है भारत का....पर क्या आप जानते है :
अच्छा चलो मुद्दा वो भी नही; बात ये है की क्या आपने आसपास देखा है क्या???? ज़्यादातर भीख माँगने वाले बच्चे ही मिलेंगे आपको; आप अगर कार चला रहे है तो ये दृश्या दिखेगा:
अच्छा चलो मुद्दा वो भी नही; बात ये है की क्या आपने आसपास देखा है क्या???? ज़्यादातर भीख माँगने वाले बच्चे ही मिलेंगे आपको; आप अगर कार चला रहे है तो ये दृश्या दिखेगा:
कही बच्चे खाने को मोहताज तो कही शिक्षा को...!! हम कई बार बात करते है विकसित भारत के सपनो की; विकाश की राह मे भाग रहे विज्ञान की; चुनाव क वक़्त वापस रोटी कपड़ा और मकान की....कुच्छ भी कह लो...अनाथालय मे बच्चे बढ़ते जा रहे है..!! कारण कोई पता नही करना चाह रहा; भूख से बिलबिलाते बच्चो पर एन जी ओ का भी बड़ा खेल और भ्रष्टाचार चल रा है समाज मे....!!!
सड़क मे या तो भीख मागते हुए या कुच्छ बेचने का प्रयास करते हुए बच्चे अक्सर आक्सिडेंट का भी शिकार हो जाते है; अगर कुच्छ मिला भी दान वश भी तो वो जिस प्यार के हकदार है वो तो नही मिलता ना...!!
शायद हो पाए इश् बावत हम सब से....अपने भी भविस्या के खातिर....अपने बचपन को याद करते हुए...मानवता के खातिर