Monday, 24 July 2017

आराम....

सुबह से शाम काम बिना नाम,
और शाम को गूँगी इमारतें और
लोग वो जो अनजान,

क्या पाया और क्या खोया
सोचा तो मैं बहुत और बहुत रोया !
आराम कमाने निकला था घर से मैं,
अब आराम ढूँढता फिरता हूँ !!

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