Tuesday, 29 April 2025

उदारता, इंसानियत और सहयोग ... कलयुग है जनाब !! (002/365)

 एक बड़े उद्योगपति से मिलने गया ..

घर के बाहर खड़ी लम्बी कारों से लोगों ने अनुमान लगाए थे 

उनके बड़े होने के...

बड़ी बड़ी बातों पर उनके तालियां बजाते लोग ..

और स्वयं भू समझने वाले साहब 

दम्भ भरते अपने गुड़गान में व्यस्त ....


समाज पर टिपड़्ड़ीयां करते और तंज कसते और पर ,

और पुनः अपनी अपनी अपनी और मै- मै- मै भरी बाटों का सिलसिला ...


उदारता की कहानियों में भी हालाँकि स्वार्थ झलक जाता था ,

पर 

जुर्रत किसी पास बैठे इंसान की ... ना ना ना भाई ना 


पर सच कहु, बस कुछ ही दिन हुए थे ,

कलई खुलते हुए 

रंग बेरंग हो गए आज साहब 

उनकी कही बातें 

उनके उदारता की किस्से आज 

नग्न हो गए थे 

उनकी सहयोग की कहानियां आज शर्म से तारतार हो गई होंगी 


पर बड़ी बेशर्मी से कैसे लोग 

अपनी कही बातों से किनारा काट जाए है...


कलयुग है जनाब !!!


उलझन यही है रोज रोज की .....(Daily Blog 001/365)

 आज सालो की प्रतीक्षा कहु 

या 

विराम जो शायद खुद पर लगाई गई एक तरह की पाबन्दी थी, 

या शायद वो भी नहीं...


लेखनी उठाई की चलो वापस चलते है .. 

शब्दों को मन के विचार से हटाकर कही लिख देते है..

कागजो न सही तो डिजिटल ही सही 

पर भावनाओ को जिक्र करके देखते है ..


कुछ लोग कहेंगे की बोझ हल्का करने लिखो 

कुछ कहेंगे की ज्ञान बाटों..

पता नहीं क्या सही है 

और क्या गलत 


मुकद्दर में क्या लिखा है 

क्या नहीं

या लिखा भी है या नहीं 

की कवादत कौन ही करे ..


लिख डालो क्युकी वक़्त है अभी 

या है नहीं ये भी तो पता नही..

जब ०१/३६५ लिख दिया तो सोचा 

अगले पल का भरोषा हुए बिना 

३६५ लिखने का दम्भ कहा से आगया 


चलो जो भी है ठीक है ..


#DailyPost #DailyWriting #AWANISHNICMAR #AWANISHSHUKLA #Blogspot #HindiPosts #HindiDailyPost #HindiWriting #HindiShayari #HindiStories #ShortStories



उदारता, इंसानियत और सहयोग ... कलयुग है जनाब !! (002/365)

 एक बड़े उद्योगपति से मिलने गया .. घर के बाहर खड़ी लम्बी कारों से लोगों ने अनुमान लगाए थे  उनके बड़े होने के... बड़ी बड़ी बातों पर उनके तालियां ब...