Saturday, 23 September 2017
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उदारता, इंसानियत और सहयोग ... कलयुग है जनाब !! (002/365)
एक बड़े उद्योगपति से मिलने गया .. घर के बाहर खड़ी लम्बी कारों से लोगों ने अनुमान लगाए थे उनके बड़े होने के... बड़ी बड़ी बातों पर उनके तालियां ब...