Saturday, 23 September 2017

Khmoshi bhanpkar meri...Ese sare bazar na karna...


No comments:

Post a Comment

उदारता, इंसानियत और सहयोग ... कलयुग है जनाब !! (002/365)

 एक बड़े उद्योगपति से मिलने गया .. घर के बाहर खड़ी लम्बी कारों से लोगों ने अनुमान लगाए थे  उनके बड़े होने के... बड़ी बड़ी बातों पर उनके तालियां ब...